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बोर्ड की स्थापना का उद्धेश्य
Fee Rs.15000/-
कृषि उत्पादन के विपणन में उत्पादक कृषकों के हितों को सर्वोपरि रखने की राज्य शासन की नीति रही है। कृषि उत्पादन के नियमित एवं सर्वांगीण विकास के लिये राष्ट्रीय कृषि आयोग की अनुशंसा के आधार पर मध्यप्रदेश राज्य कृषि विपणन बोर्ड के गठन का प्रावधान वर्ष 1973 में मण्डी अधिनियम में किया गया है। वर्ष 1973 से सतत रुप से प्रदेश की कृषि उपज मण्डियों के विकास के लिये मण्डी बोर्ड निम्न उद्वेश्यों के लिये सतत प्रयत्नशील है ।
- कृषि उत्पादन के विक्रेता को प्रतिस्पर्धात्मक मूल्य दिलाना, सही तौल के लिये व्यवस्थायें करना एवं उत्पादक को उसी दिन मूल्य का भुगताना कराना।
- मण्डियों की स्थापना के लिये सर्वेक्षण, साईट प्लान्स एवं मास्टर प्लान का सम्पादन।
- मण्डी प्रांगणों एवं उपमण्डी प्रांगणों में सुचारु विपणन के लिये नियोजित तरीके से मूलभूत सुविधायें विकसित करना।
- वित्तीय रुप से कमजोर मण्डी समितियों को ॠण अथवा अनुदान देना।
- कृषि उत्पादन में वृद्वि के लिये कृषि आदानों को मण्डी प्रांगण में उपलब्ध कराना।
- मण्डी अधिनियम तथा उसके अधीन बनाये गये नियमों तथा उपविधियों के उपबंधों को कार्यान्वित करना, सुचारु एवं बेहतर विपणन व्यवस्था स्थापित करने के लिये अधिनियम एवं तदाधीन नियमों में आवश्यक संशोधन के लिये समय समय पर राज्य शासन को सुझाव प्रस्तुत करना।
- mpmandiboard
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मध्यप्रदेश राज्य कृषि विपणन बोर्ड का गठन
मध्यप्रदेश कृषि उपज मण्डी अधिनियम की धारा 40 के अंतर्गत राज्य सरकार की अधिसूचना द्वारा एक बोर्ड सथापित करने का प्रावधान रखा गया है। तदानुसार मध्यप्रदेश राज्य कृषि विपणन बोर्ड जून 1973 से कार्यरत है। बोर्ड का गठन राज्य शासन की अधिसूचना क्रमांक 4802 दिनांक 04 अगस्त 1973 द्वारा किया गया है :-
(1) पदेन सदस्य ( विवरण देखें ) :-
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- मंत्री, जो किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग, मध्यप्रदेश का भारसाधक हो ।
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- सचिव/प्रमुख सचिव, मध्यप्रदेश शासन, किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग ।
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- रजिस्ट्रार, सहकारी समितियाँ, मध्यप्रदेश।
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- संचालक, किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग मध्यप्रदेश ।
- प्रबंध संचालक, मध्यप्रदेश राज्य कृषि विपणन बोर्ड ।
(2) राज्य सरकार द्वारा नामनिर्दिष्ट सदस्य :-
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- मध्यप्रदेश विधान सभा के दो सदस्य जो विधान सभा अध्यक्ष के परामर्श से नामनिर्दिष्ट किये गये हों।
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- मण्डी समिति के दस अध्यक्ष – प्रत्येक राजस्व आयुक्त संभाग से मण्डी समिति का एक अध्यक्ष।
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- लाइसेंसधारी व्यापारियों के दो प्रतिनिधि।
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- मध्यप्रदेश राज्य सहकारी विपणन संघ तथा मध्यप्रदेश राज्य वस्तु व्यापार निगम का अध्यक्ष या प्रबंध निदेशक।
- कृषि उपज के विपणन के क्षेत्र के दो विशेषज्ञ।
मंत्री जो कि किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग, मध्यप्रदेश का भारसाधक हो बोर्ड का अध्यक्ष होगा तथा बोर्ड के नामांकित सदस्यों में से उपाध्यक्ष का नामनिर्देशन राज्य सरकार द्वारा किया जाता है।
मध्यप्रदेश राज्य कृषि विपणन बोर्ड
कृषि उत्पादन के विपणन में उत्पादक कृषकों के हितों को सर्वोपरि रखने की राज्य शासन की नीति रही है। कृषि उत्पादन के नियमित एवं सर्वांगीण विकास के लिये, राष्ट्रीय कृषि आयोग की अनुशंसा के आधार पर मध्यप्रदेश राज्य कृषि विपणन बोर्ड के गठन का प्रावधान वर्ष 1973 में मण्डी अधिनियम में किया गया है। वर्ष 1973 से सतत रुप से प्रदेश की कृषि उपज मण्डियों के विकास के लिये मण्डी बोर्ड निम्न उद्वेश्यों के लिये सतत प्रयत्नशील है।
- कृषि उत्पादन के विक्रेता को प्रतिस्पर्धात्मक मूल्य दिलाना, सही तौल के लिये व्यवस्थायें करना एवं उत्पादक को उसी दिन मूल्य का भुगतान कराना।
- मण्डियों की स्थापना के लिये सर्वेक्षण, साईट प्लान्स एवं मास्टर प्लान का सम्पादन।
- मण्डी प्रांगणों एवं उपमण्डी प्रांगणों में सुचारु विपणन के लिये नियोजित तरीके से मूलभूत सुविधायें विकसित करना।
- वित्तीय रुप से कमजोर मण्डी समितियों को ॠण अथवा अनुदान देना।
- कृषि उत्पादन में वृद्वि के लिये कृषि आदानों को मण्डी प्रांगण में उपलब्ध कराना।
- मण्डी अधिनियम तथा उसके अधीन बनाये गये नियमों तथा उपविधियों के उपबंधों को कार्यान्वित करना, सुचारु एवं बेहतर विपणन व्यवस्था स्थापित करने के लिये अधिनियम एवं तदाधीन नियमों में आवश्यक संशोधन के लिये समय समय पर राज्य शासन को सुझाव प्रस्तुत करना।
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